विगत दिनों हंडिया और बहरिया से नकली दवाएं मिलने के मामले में एक और खुलासा हुआ है। इस खुलासे ने अफसरों की चिंता बढ़ा दी है। पता चला है कि दोनों कंपनियां फर्जी हैं। ऐसी आशंका है कि नकली दवाएं जिले में ही तैयार की जा रही हैं और उन पर बाहर की किसी कंपनी का रैपर लगा दिया जा रहा है। हाल ही में एक ट्रक में लदी नकली दवाएं जब्त की गई थीं। इस मामले में मुख्य आरोपी अभी तक गिरफ्त से बाहर है। हालांकि दवा कंपनी की जांच करने हिमाचल गई औषधि विभाग की टीम को वहां कंपनी का नामोनिशान तक नहीं मिला। दरअसल दो सितंबर को एक ट्रक में नकली कफ सिरप मिली थी। उनकी कीमत साढ़े छह लाख रुपये आंकी गई है। दवा के नमूने जांच के लिए भेज दिए गए हैं, जिसका अभी इंतजार है। दवा के साथ पकड़े गए ट्रक चालक की निशानदेही पर अतरसुइया में छापेमारी की गई। इसमें एक मकान से शीशी, एक कंपनी के रैपर, कार्टून समेत कई अन्य वस्तुएं जब्त की गई थीं। इससे आशंका जताई जा रही है कि नकली दवा की पैकिंग यहीं पर की जा रही थी। इससे जिले में नकली दवा बनाए जाने की भी आशंका बन गई है। इन आशंकाओं के पटाक्षेप तथा इस धंधे में लगे जालसाजों तक पहुंचने के लिए जांच रिपोर्ट एवं मुख्य आरोपी के पकड़े जाने का इंतजार है। बतादे कि करीब एक साल पहले हंडिया की एक दुकान से ए-सीआईपीएक्स-200 टैबलेट तथा बहरिया की एक दुकान से रैबोजॉल डीएसआर कैपशूल के नमूने लिए गए थे। जांच में दोनों दवाएं नकली पाई गईं। इन दवाओं के रैपर से पता चला कि ये हिमाचल प्रदेश स्थित कंपनी में बनाई जाती हैं। इसके बाद औषधि प्रशासन की टीम हिमाचल प्रदेश पहुंची। वहां से लौटे विभाग के निरीक्षक गोविंद शरण गुप्ता ने बताया कि दोनों कंपनियां भी फर्जी हैं। रैपर पर दर्ज नाम की कंपनियां हिमाचल प्रदेश में हैं ही नहीं। ऐसे में इन दवाओं के यहीं या आसपास के जिलों में बनाए जाने की आशंका बन गई है। इसके पीछे बड़े नेटवर्क के सक्रिय होने की आशंका जताई जा रही है। गोविंद ने बताया कि आरोपी दुकानदारों के खिलाफ मुकदमा लिखाकर सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर जांच कराई जाएगी।