नई दिल्ली। दवा विक्रेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर फार्मा सेक्टर में काम कर रहे लोगों के लिए भी बीमा सुविधा दिए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने स्वास्थ्यकर्मियों को बीमा की सुविधा दी है, लेकिन मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों से लेकर उनके घरों तक दवा पहुंचा रहे थोक और खुदरा दवा विक्रेताओं को इस तरह की किसी सुविधा से अभी तक वंचित रखा गया है। जबकि दवा पहुंचा रहे नेटवर्क में लगे लोगों को भी लगभग उसी स्तर के कोरोना संक्रमण का खतरा उठाना पड़ रहा है। इसे देखते हुए दवा विक्रेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर फार्मा सेक्टर में काम कर रहे लोगों के लिए भी बीमा सुविधा दिए जाने की मांग की है। द ऑल इंडिया आर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों की राष्ट्रीय संस्था है। इस संस्था के 8.5 लाख रजिस्टर्ड सदस्य हैं। संस्था के राष्ट्रीय सचिव संदीप नांगिया ने अमर उजाला को बताया कि देश में थोक-खुदरा दवा व्यापार के क्षेत्र में 85 लाख से अधिक लोग सक्रिय तौर पर काम करते हैं। परिवार सहित लगभग पांच करोड़ लोग ऐसे हैं, जो दवा पहुंचाने के दौरान कोरोना के संक्रमण के ज्यादा खतरे वाले क्षेत्र में आते हैं। राजधानी दिल्ली में ही दवा विक्रेताओं की संख्या 15 हजार से अधिक है, जिनमें लगभग दो लाख लोग सर्किय तौर पर काम करते हैं। अगर इनके परिवारों को भी शामिल किया जाए तो यह संख्या दस लाख तक पहुंच जाती है। उनकी मांग है कि सरकार इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को भुगतान आधारित बीमा सुविधा प्रदान करे। वे पूर्णत: मुफ्त सुविधा की अपील नहीं कर रहे हैं, बल्कि बीमा कंपनियों के माध्यम से वे एक सस्ता और बेहतर बीमा सुविधा देने की मांग कर रहे हैं। कोरोना की लड़ाई में किसी आवश्यक सुविधा में कमी न रहे इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ कमेटियों का गठन किया है, जिसे अलग-अलग क्षेत्रों की सुविधाओं पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा गया है। दवा की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए लॉजिस्टिक्स से जुड़ी कमेटी में फार्मा क्षेत्र को भी शामिल किया गया है। डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल विभाग के जॉइंट सेक्रेटरी नवदीप इस कमेटी में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।