नई दिल्ली। यह बहुत हैरानी की बात है कि साल 2021 में भी देश के 63 ऐसे जिले हैं जहां आज तक एक भी ब्लड बैंक नहीं है। सितंबर 2020 में हुए एक सर्वे के अनुसार देश के 63 ऐसे जिले हैं जहां कोई ब्लड बैंक नहीं है. इसी मुद्दे को लेकर राज्यसभा में सरकार से सवाल पूछा गया कि क्यों देश के सभी जिलों में कम से कम एक ब्लड बैंक नहीं है? साथ ही सरकार से यह भी पूछा गया कि केंद्र सरकार और हेल्थ मिनिस्ट्री इसके लिए क्या करने वाली है।

आपको बता दें अरुणाचल प्रदेश के 63 जिलों में, आसाम के 14 जिलों में, बिहार के 5 जिलों में, मणिपुर के 12, मेघालय के 7 और नागालैंड के 9 जिलों में एक भी ब्लड बैंक मौजूद नहीं है। अश्वनी चौबे ने कहा कि नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (MOHFW) ने एक ब्लड बैंक नीति तैयार की है जिसके अनुसार हर जिले में कम से कम एक ब्लड बैंक तो होना ही चाहिए। ब्लड बैंक चलाने के लिए कुछ बुनियादी ढांचे होते हैं जैसे ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत आपको ब्लड बैंक चलाने के लिए एक लाइसेंस लेने की जरूरत होती है।

फिलहाल देश में 3,321 लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक है जिन्होंने 2019-20 में तकरीबन 1.27 करोड़ ब्लड यूनिट एकत्रित किए थे। ब्लड बैंकों को रक्त की कमीं ना हो इसलिए कुछ गैर सरकारी संस्थाएं भी इनके मदद के लिए हमेशा राज्यों में और केंद्र शासित प्रदेशों में काम करती रहती हैं। इनमें भारतीय रेड क्रॉस, रोटरी लायंस क्लब और कई सिविल सोसाइटी संगठन मौजूद हैं, साथ ही ब्लड बैंकों की जानकारी के लिए एक पोर्टल भी तैयार किया गया है जिसे e-raktkosh पोर्टल के नाम से जाना जाता है।

दरअसल सरकार की ओर से स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने लिखित रूप से जवाब दिया और उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी आवश्यकता अनुसार ब्लड बैंकों की स्थापना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा की नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) के तहत भारत सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूदा ब्लड बैंकों को सुविधा उपलब्ध कराना और नए ब्लड बैंकों की स्थापना करने में लगातार मदद करती रहती है। अश्विनी चौबे ने कहा कि देश में ब्लड की जरूरत के हिसाब से एक जगह से दूसरी जगह तक ब्लड को सुरक्षित पहुंचाने के लिए ब्लड वैन की शुरुआत करने पर भी विचार किया जा रहा है और इस विषय में राज्य सरकारों से बातचीत भी चल रही है।