नई दिल्ली: विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने चिंता जताते हुए कहा कि कुल जन्म दर (टीएफआर) और आबादी स्थिरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 100 से ज्यादा जिलों में सूक्ष्म नियोजन की जरूरत है। टीएफआर प्रति महिला जन्म लेने वाले बच्चों की औसत संख्या है और भारत में टीएफआर लक्ष्य में मात्र 2.1 फीसदी है। स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने कहा कि परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी में कमी आई है। परिवार कल्याण के दायरे में किस प्रकार पुरुषों को लाया जाए, इसका विश्लेषण होना चाहिए।
 टीएफआर को 2.1 फीसद तक लाने के लक्ष्य को चुनौती बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जहां तक शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर का सवाल है, भारत में गिरावट की दर विश्व औसत से तेज है।
देश के 24 राज्य 2.3 फीसद तक पहुंच गए हैं। हमें उन राज्यों के लिए रणनीति बनानी होगी जहां यह कम नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि देश के 23 जिलों में टीएफआर चार फीसद से ऊपर हैं। इनमें से 11 जिले उत्तर प्रदेश के हैं जबकि बिहार के आठ और राजस्थान व मध्य प्रदेश के दो-दो जिले हैं।
उन्होंने कहा कि हमें इन जिलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। देश में 123 जिले ऐसे हैं जहां टीएफआर तीन से 3.9 फीसद के बीच है। नड्डा ने ‘जिम्मेदारी निभाओ, प्लान बनाओÓ विषयपर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कहा कि इन 123 जिलों के साथ ही 23 और जिलों पर ध्यान देने और रणनीति बनाने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि देश में यह सोच है कि परिवार में एक लड़का होना चाहिए और इससे यह मुद्दा प्रभावित होता है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने जनसंख्या वृद्धि पर चिंता जाहिर करते हुए इसे रोकने के उपायों पर जोर दिया। सरकार मानती है कि जनसंख्या वृद्धि स्वास्थ्य सुधार के राह में बड़ी बाधा है। मिलकर इस दिशा में प्रयास करना होगा।