नैनीताल (उत्तराखंड)। हाईकोर्ट ने राज्य में बगैर लाइसेंस तथा क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (रजिस्ट्रीकरण एवं विनियमन) अधिनियम- 2010 के तहत गैरपंजीकृत सभी अस्पतालों और क्लीनिकों को तत्काल प्रभाव से सील करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों और अधिनियम में पंजीकृत सभी क्लीनिकों के डॉक्टरों को भी आदेश दिया है कि वे केवल जेनरिक दवाएं लिखें और रोगियों पर ब्रांडेड दवाओं को खरीदने के लिए दबाव न बनाएं।

बाजपुर निवासी अहमद नबी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने प्रावधानों को चिकित्सालयों में लागू नहीं करने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने निर्देश दिए कि अस्पतालों और क्लीनिकों के संचालन के लिए मौजूदा प्रावधानों और कानून का सख्ती से पालन किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार निजी एवं सरकारी अस्पतालों में विभिन्न मेडिकल जांचों और परीक्षणों का शुल्क भी एक माह के भीतर तय करे। कोर्ट ने सभी चिकित्सालयों को आदेश दिया कि वे मरीजों की अनावश्यक जांच न करवाएं। कोर्ट ने कहा कि चिकित्सालयों में आईसीयू की एक दीवार शीशे से निर्मित की जाए, जिससे मरीज के परिजन उसे देख सकें। कोर्ट ने कहा कि चिकित्सालय हर 12 घंटे में परिजनों को मरीज के स्वास्थ्य की जानकारी भी दें।