लखनऊ (उप्र)। सूबे के मेडिकल कॉलेज में 85 असिस्टेंट प्रोफेसर्स ने अपने पदों पर ज्वाइन नहीं किया है। अब इन खाली पदों पर फिर से भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। उत्तर प्रदेश के 13 राजकीय मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों के खाली पद भरे नहीं गए हैं। सरकार के इन पदों को भरने के प्रयास विफल साबित हुए हैं।

200 सहायक प्रोफेसरों का हुआ था चयन

लोक सेवा आयोग के जरिए करीब 200 सहायक प्रोफेसरों का चयन किया गया था। डेढ़ साल के दौरान इन चयनित में से 85 ने कार्यभार नहीं संभाला। इसके चलते इन सभी पदों को रिक्त घोषित कर दिया गया है। अब इन पदों पर दोबारा से भर्ती की जाएगी।

बता दें कि प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में संकाय सदस्यों के 40 फीसदी पद खाली हैं। लोक सेवा आयोग ने इनको भरने के लिए करीब 200 सहायक प्रोफेसर चयनित किए गए। इन्हें कॉलेज भी आवंटित कर दिए गए। चिकित्सा शिक्षा विभाग की जांच में पता चला कि इनमें से 85 ने ज्वाइन ही नहीं किया है।

यहां नहीं हुई ज्वाइनिंग

जिन मेडिकल कालेजों में जयनितो ने कार्यभार नहीं संभाला है, वे इस प्रकार हैं। इनमें राजकीय मेडिकल कॉलेज अंबेडकरनगर में सर्वाधिक 15, आजमगढ़ में 13, बदायूं व कन्नौज में 12-12, सहारनपुर 10, जालौन आठ, बांदा व गोरखपुर 4-4, कानपुर तीन, झांसी दो और मेरठ में एक सहायक प्रोफेसर ने कार्यभार नहीं संभाला। इसमें सर्वाधिक 19 एनेस्थेटिस्ट के अलावा बाल रोग, महिला रोग, पैथोलॉजी, सर्जरी, साइकियाट्रिक, मेडिसिन सहित अन्य विधा के चिकित्सक शामिल हैं।

काउंसिलिंग प्रक्रिया अपनाई थी

पहले आयोग की ओर से चयनित संकाय सदस्यों को खाली सीटों के आधार पर कॉलेजों में भेज दिया जाता था। दो साल पहले आयोग से आने वालों की काउंसिलिंग प्रक्रिया अपनाई गई। उन्हें संबंधित विधा में खाली सीटों के बारे में कॉलेज चुनने का मौका मिलता था। इसके बावजूद सहायक प्रोफेसरों ने कार्यभार नहीं संभाला है।

मुख्य कारण लंबी चयन प्रक्रिया

बताया गया है कि मेडिकल कॉलेजों में संकाय सदस्यों की चयन प्रक्रिया लंबी है। आवेदन से लेकर चयन और कॉलेज आवंटित होने तक में करीब डेढ़ साल लग जाता है। इस बीच विशेषज्ञ डॉक्टर निजी क्षेत्र में काम करने लगते हैं। निजी क्षेत्र में आने के बाद वे वापस नहीं लौटते हैं।

समीक्षा की जाएगी

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राजकीय, स्वशासी मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों में खाली पदों को भरने के प्रयास जारी हैं। सभी राजकीय मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त सुविधाएं हैं। फिर भी सहायक प्रोफेसरों ने कार्यभार नहीं संभाला है। इसके क्या कारण हैं, इसकी समीक्षा की जाएगी। कारण सामने आने पर उनका जल्द समाधान किया जाएगा।