नई दिल्ली। रेडिएंट लाइफकेयर द्वारा खरीदी गई मैक्स हेल्थकेयर अपने जांच लैब और होमकेयर व्यवसायों को अलग कंपनियों में विभाजित करेगी। केकेआर समर्थित उद्यमी अभय सोई नए अधिग्रहणों की भी संभावना तलाश रहे हैं और एनसीएलटी के समक्ष पहुंचने की स्थिति में जेपी हॉस्पिटल के लिए बोली लगाने को स्वतंत्र हैं। बताया गया कि रेडिएंट ने मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल के साथ भी बातचीत की थी, लेकिन यह सौदा नहीं हो सका। मैक्स का प्रयोगशाला जांच व्यवसाय मौजूदा समय में घरेलू मांग को पूरा करता है और उसका राजस्व लगभग 400 करोड़ रुपये का है, जबकि होमकेयर व्यवसाय का राजस्व 70 करोड़ रुपये है। कंपनी की योजना इन व्यवसायों को अलग करने और एक रिटेल बिजनेस मॉडल विकसित करने की है। कंपनी के नए मालिकों द्वारा किए गए पुनर्गठन के तहत इन व्यवसायों को अलग किए जाने की योजना बनाई जा रही है। नए मालिकों (रेडिएंट लाइफकेयर) ने मैक्स हेल्थकेयर में 49.7 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है। रेडिएंट अपने हेल्थकेयर व्यवसाय को मैक्स हेल्थकेयर में तब्दील करने की प्रक्रिया से गुजर रही है। दूसरी तरफ, सूचीबद्घ कंपनी मैक्स इंडिया में गैर-हेल्थकेयर व्यवसाय को अलग किया जा रहा है और शेष कारोबार को मैक्स हेल्थकेयर के साथ मिलाया जाएगा। रेडिएंट मुंबई के नानावती के साथ साथ दिल्ली में बीएल कपूर हॉस्पिटल की भी मालिक है।
विलय के बाद गठित होने वाली इकाई अगले तीन से साढ़े तीन साल में मौजूदा अस्पतालों में 1800 बिस्तरों की क्षमता विकसित करने के प्रयास में 2000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसमें दिल्ली के मैक्स समार्ट साकेत में 900 कमरे जोडऩा और मुंबई के नानावती में 650 बिस्तर जोडऩा शामिल होगा। यह रकम काफी हद तक कर्ज और आंतरिक स्रोतों के जरिये जुटाई जाएगी। मैक्स में मार्जिन सुधारने की कोशिश के तहत रेडिएंट एनसीआर क्षेत्र में अपने कुछ केंद्रों (ज्यादातर डे केयर सेंटर शामिल) को बंद करने या घटाने की भी संभावना तलाश रही है, क्योंकि इनसे संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है। मौजूदा समय में मैक्स के 16 केंद्र हैं जिनमें 9 बड़े अस्पताल और डे सेंटर शामिल हैं।
मैक्स के पुनर्गठन की योजना के बारे में अभय सोई ने कहा कि मैक्स में हमारा उद्देश्य एबिटा मार्जिन 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 15-16 प्रतिशत पर लाना है। हमारा मानना है कि सही कीमत पर अस्पतालों के अधिग्रहण के लिए यह सही समय है और हम इस पर विचार कर रहे हैं। मैं नहीं मानता कि दो साल बाद यह अवसर मौजूद होगा। मैक्स के अधिग्रहण के साथ सोई 3,443 करोड़ रुपये के राजस्व (वित्त वर्ष 2018) के साथ देश में अपोलो और फोर्टिस के बाद तीसरी सबसे बड़ी हॉस्पिटल चेन तैयार करने में कामयाब रहे हैं। सोई का मानना है कि वह सिर्फ महानगरों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और बड़े अस्पताल की क्षमता 400-500 बिस्तरों की होगी। इसके अलावा उनके पास ऐसे छोटे अस्पताल भी होंगे जिनकी बिस्तर क्षमता 200-300 है, लेकिन इससे छोटे अस्पतालों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा।