नई दिल्ली। एक नवजात शिशु में एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल से निकाली गईं लिवर की कोशिकाओं के प्रतिरोपण में दुनियस में पहली बार सफलता मिली है। इस तरह के लिवर सेल ट्रांसप्लांट से जानलेवा बीमारियों में नवजात बच्चों के इलाज के नए विकल्पों को लेकर उम्मीद जगी है। यह करिश्मा जापान के डॉक्टरों ने कर दिखाया है। इस बच्चे को यूरिया साइकिल डिसऑर्डर था। इसमें लिवर जहरीली अमोनिया को तोडक़र शरीर से बाहर नहीं निकाल पाता है। डॉक्टर्स इस बात को लेकर चिंतित थे कि 6 दिन के बच्चे का लिवर ट्रांसप्लांट करना जोखिम भरा रहता है। डॉक्टर्स के मुताबिक, शिशुओं के पांच महीने की उम्र में 6 किलो वजन होने पर ही लिवर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। ऐसे में जापान के नेशनल सेंटर फॉर चाइल्ड हेल्थ एंड डेवलपमेंट के डॉक्टर्स ने 6 दिन के बच्चे के बड़े होने तक एक ब्रिज ट्रीटमेंट की कोशिश की। उन्होंने एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल से लिए गए 19 करोड़ लिवर सेल बच्चे के लिवर के ब्लड वेसल्स में इंजेक्ट कर दिए। स्टेम सेल के जरिये किए गए इलाज के बाद शिशु में ब्लड अमोनिया कंसंट्रेशन में वृद्धि नहीं हुई। इसके बाद लिवर ट्रांसप्लांट के लिए बच्चे की सही उम्र होने का इंतजार किया गया। बाद में पिता से लिवर लेकर बच्चे में प्रतिरोपण किया गया। फिर जन्म के छह महीने बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। नेशनल सेंटर के मुताबिक, इस ट्रायल की सफलता ने दिखा दिया कि लिवर की बीमारी के मरीजों के लिए मानव एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल्स का इस्तेमाल सुरक्षित है।