गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज के एनेस्थीसिया विभाग की रेजीडेंट डा. श्रीष्मा एचएस ने आपरेशन के बाद होने वाले तेज दर्द से मरीजों को निजात दिलाने के लिए 44 मरीजों पर शोध किया है। इसमें बच्चेदानी के आपरेशन वाली महिलाओं को शामिल किया गया। जुलाई 2020 से जुलाई 2021 तक हुए अध्ययन में यह बात सामने आई कि आपरेशन से पूर्व एनेस्थीसिया देने के साथ ही मरीजों को दर्द की दवा, स्टेरायड के साथ दी जाए तो उन्हें तेज व बेचैन करने वाले दर्द से निजात मिल सकती है। इस शोध को गत दो अक्टूबर को वाराणसी में आयोजित स्टेट कांफ्रेंस में दूसरा स्थान व सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ है। कांफ्रेंस में पूरे प्रदेश से 75 शोध पेपर प्रस्तुत किए गए थे।
44 मरीजों पर किया गया शोध
आपरेशन के पूर्व 22 महिलाओं को एनेस्थीसिया देने के 15 मिनट बाद स्टेरायड (डेक्सामेथासोन) के साथ दर्द की दवा (बुपिवाकेन एचसीएल) दी गई। 22 महिलाओं को परंपरागत रूप से केवल दर्द की दवा (बुपिवाकेन एचसीएल) दी गई। उनकी 24 घंटे मानीटरिंग की गई। जिन महिलाओं को दर्द की दवा के साथ स्टेरायड दिया गया था, वे दर्द से मुक्त रहीं। उनके दर्द का वैस स्कोर चार से नीचे था। जिन्हें स्टेरायड नहीं दिया गया था उनमें से आठ महिलाओं के दर्द का स्कोर चार से ज्यादा था, उन्हें पुन: दर्द की दवा देनी पड़ी। अभी तक आमतौर पर केवल दर्द की दवा दी जाती है। मेडिकल कालेज में दर्द की दवा के साथ स्टेरायड का प्रयोग पहली बार किया गया। इस शोध पर स्टेट कांफ्रेंस में विशेषज्ञों की मुहर भी लग गई। इसे लेकर एनेस्थीसिया विभाग उत्साहित है। अब अधिक मरीजों पर यह प्रयोग करने की तैयारी चल रही है।
सबसे ज्यादा दर्द आपरेशन के बाद होता है। ढाई-तीन घंटे तक तो एनेस्थीसिया का असर होता है, इसके बाद दर्द बढ़ता है तो मरीज बर्दाश्त नहीं कर पाता। इस शोध से अब तेज से से मरीजों को राहत मिल सकेगी। अभी 44 मरीजों पर अध्ययन हुआ है। अब इसका प्रयोग अधिक मरीजों पर किया जाएगा। - डा. सुनील आर्या, अध्यक्ष, एनेस्थीसिया विभाग, बीआरडी मेडिकल काले
यह थी दवा की मात्रा
19 एमएल बुपिवाकेन एचसीएल
01 एमएल डेक्सामेथासोन
आपरेशन वाले मरीजों को दर्द से निजात दिलाने के लिए यह शोध किया गया है। मरीजों को एनेस्थीसिया देने के 15 मिनट बाद ये दवाएं दी गईं। इस प्रयोग के बाद यह तय हो गया है कि आपरेशन वाले मरीजों को दर्द से आसानी से निजात दिलाई जा सकेगी। इस शोध में विभाग की पूरी टीम का सहयोग रहा। – डा. श्रीष्मा एचएस, एनेस्थीसिया विभाग, बीआरडी मेडिकल कालेज।