नई दिल्ली। मैक्स अस्पताल द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि कोरोना के इलाज में स्टोरॉयड का इस्तेमाल कब, कितने डोज में और अधिकतम कितने दिन तक करना चाहिए ताकि मरीज को कोई गंभीर दुष्प्रभाव न हो इसको लेकर डाक्टरों की सोच में एकरूपता नहीं है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 7.29 फीसद डॉक्टरों ने कोरोना के इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को शुरुआती दौर में ही जल्दी यह दवा शुरू कर दी थी। यह सर्वे मेडिकल जर्नल जेएपीआइ (जर्नल आफ दी एसोसिएशन आफ फिजिशियन आफ इंडिया) में प्रकाशित हुआ है।

सर्वे में कहा गया है कि स्टेरायड के इस्तेमाल से शुगर बढ़ने व दूसरे तरह के घातक संक्रमण होने का दुष्प्रभाव अधिक देखा गया, इसलिए कोरोना के इलाज में स्टेरायड के इस्तेमाल को लेकर प्रोटोकाल को बेहतर बनाने की सिफारिश की गई है, ताकि इलाज में ज्यादा फायदा हो सके। मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने 23 राज्यों के 384 डॉक्टरों पर यह सर्वे किया है, जिसमें दिल्ली से सबसे अधिक 80 डॉक्टरों ने सर्वे में हिस्सा लिया।

उत्तर प्रदेश से 38 व हरियाणा के 31 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया था। इनमें से ज्यादातर वरिष्ठ डॉक्टर थे। सर्वे में पाया गया कि ज्यादातर डॉक्टर मानते हैं कि स्टेरायड मध्यम व गंभीर संक्रमण से पीड़ित मरीजों को देने पर अधिक फायदा होता है। वहीं आठ फीसद डॉक्टर मानते हैं कि हल्के संक्रमण वाले मरीजों को भी यह दवा दी जा सकती है। 9.89 फीसद डॉक्टरों ने हर तरह के मरीजों को यह दवा दी भी। 7.29 फीसद डॉक्टरों ने बहुत जल्दी दवा शुरू कर दी थी। 36.2 फीसद डॉक्टरों द्वारा अधिक पावर की दवा देने का कारण ऑक्सीजन का स्तर कम होना व 22.9 फीसद डॉक्टरों द्वारा अधिक पावर की दवा देने का कारण मरीज के खून में इंफ्लेमेटरी मार्कर सीआरपी (सी-रिएक्टिव प्रोटीन) का स्तर बढ़ना था।

वहीं, 74.48 फीसद डॉक्टरों ने मध्यम श्रेणी के मरीजों में ही स्टेरायड का इस्तेमाल किया। वहीं 60.94 फीसद डॉक्टरों ने गंभीर मरीजों में भी यह दवा दी। करीब 66 फीसद डाक्टर मरीज के ठीक होने तक स्टेरॉयड का चालू रखना चाहते हैं। 34 फीसद डाक्टरों ने मरीजों को 14 दिन से अधिक समय तक स्टेरायड दिया।

मैक्स अस्पताल के क्रिटिकल केयर मेडिसिन के एसोसिएट निदेशक डॉ. देवेन जुनेजा के नेतृत्व में यह सर्वे हुआ। उन्होंने कहा कि स्टेरायड एक मात्र दवा है जो अब तक कोरोना के इलाज में फायदेमंद पाई गई है। लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर सोच अलग-अलग है। यह जानने के लिए यह सर्वे किया गया। कई डॉक्टर कोरोना होने पर तुरंत यह दवा शुरू कर देते हैं। इसके इस्तेमाल को लेकर हुए सबसे बड़े ट्रायल में अधिकतम 10 दिन तक यह दवा देने की सलाह दी गई है लेकिन कई मरीज लंबे समय तक आइसीयू में रहते हैं तो ऐसी परिस्थिति में क्या करना चाहिए। स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसलिए और शोध और प्रोटोकाल को बेहतर बनाने की जरूरत है।