नई दिल्ली। आम जनता को किफायती दर पर गुणवत्तायुक्त दवा मुहैया कराने वाली सरकारी जन औषधि योजना से घरेलू दवा बाजार 20 प्रतिशत प्रभावित हो सकता है। इस योजना के तहत जन औषधि दुकानों के जरिए ब्रांडेड दवाओं के जेनेरिक संस्करण को अपेक्षाकृत 50 से 90 फीसदी कम कीमत पर लोगों को मुहैया कराया जाता है। एडेलवीस की रिपोर्ट के अनुसार, ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) के करीब छह हजार करोड़ रुपये के दवाओं का 25 से 30 हजार करोड़ रुपये के ब्रांडेड दवाओं की बिक्री पर प्रतिकूल असर होगा। देश में पांच हजार से अधिक जन औषधि केंद्र हैं और इनमें 800 से अधिक दवाओं की बिक्री की जाती है। वहीं सरकार की योजना है कि देश के सभी ब्लॉक स्तर की जगहों पर जन औषधि केंद्र खोले जाएं। सरकार वर्ष 2020 तक देश के सभी ब्लॉक (प्रखंड) में जन औषधि केन्द्र खोलने की येाजना बना रही है। इससे ग्रामीण स्तर पर लोगों को सस्ती और अच्छी दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी। वर्ष 2016 की तुलना में जनौषधि केंद्रों से दवाओं की बिक्री काफी तेजी से बढ़ी है।