जयपुर। आयुर्वेदिक दवाओं में एलोपैथिक दवा मिलाकर बेचने का मामला सामने आया है। गंजापन रोकने, कील-मुंहासों, दर्द निवारक व अस्थमा जैसी बीमारी के इलाज में इस्तेमाल की जा रही आयुर्वेदिक दवाओं में एलोपैथिक दवा का मिश्रण कर निर्माता कंपनियां आमजन की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सेठी कॉलोनी स्थित सरकारी ड्रग टेस्टिंग लैब की जांच में आयुर्वेद में एलोपैथी दवा मिलाने का मामला सामने आने पर ड्रग्स विभाग में हडक़ंप मच गया। सभी दवाओं की निर्माण तिथि जून -2016 व एक्सपायर डेट मई -2019 है। गंभीर मामला सामने आने के बाद विभाग ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) नई दिल्ली व आयुर्वेद विभाग को रिपोर्ट भेजी है। अब आयुर्वेद का ड्रग्स विभाग संबंधित कंपनी को नोटिस देकर जांच में फेल होने वाली दवाओं का स्टॉक जब्त कर कार्यवाही करेगा। इधर, आयुर्वेद विभाग में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद आयुर्वेद दवाओं की जांच करने वाली लैब सालों से बंद पड़ी है। नमूनों की जांच के लिए जयपुर स्थित लैब में भेजने पड़ते हैं। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि आयुर्वेद में एलोपैथिक दवाएं मिलने की जांच रिपोर्ट मिली है। आयुर्वेद विभाग में ड्रग लाइसेन्सिंग अथॉरिटी डॉ. सुरेश शर्मा का कहना है कि अधिकारियों को संबंधित दवाओं का स्टॉक जब्त कर एक्ट के अनुसार कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। निर्माता कंपनियों को भी नोटिस दिया जाएगा। आयुर्वेद ड्रग्स टेस्टिंग लैब में जांच के लिए अधिकृत पद का नोटिफिकेशन हो चुका है। जल्द जांच भी हो सकेगी।  ड्रग कंट्रोलर सैकंड अजय फाटक का कहना है कि आयुर्वेद में एलोपैथी दवा मिलाना ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एकट का उल्लंघन है। एसएमएस अस्पताल के डॉ. अजीत सिंह व डॉ. पुनीत सक्सेना का कहना है कि आयुर्वेद में एलोपैथी दवाओं के मिलाने पर बीमारी भी ठीक नहीं होगी और हार्ट अटैक, आंखों की रोशनी जाने जैसे साइड इफेक्ट भी हो सकते हंै। शक्तिवर्धक दवाओं में सिडेनाफिल मिलाने पर काम नहीं करेगी।