बरेली। दवाओं के मनमाने दाम निर्धारित करना फार्मास्युटिकल्स कंपनियों के लिए अब भारी पड़ सकता है। सरकार दवाओं की मरीजों से 100 से 150 फीसदी ज्यादा कीमत वसूलने पर अंकुश लगाने की तैयारी में है। इसके लिए नीति आयोग एक फार्मूला तैयार कर रहा है। इसमें ट्रेड मार्जिन के आधार पर दवाओं के दाम नियंत्रित किए जा सकेंगे। सरकार की ओर से जनहित में लिए गए इस निर्णय का केमिस्ट एसोसिएशन ने स्वागत किया है और कंपनियों की बेजा मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने में सहयोग की बात कही है।
दरअसल कंपनियां एक ही सॉल्ट की दवा को अलग-अलग ब्रांड नेम से अलग-अलग प्रॉफिट मार्जिन पर अस्पतालों और रिटेलर्स को बेचती हैं। इसका नतीजा यह होता है कि जो कंपनी ज्यादा मुनाफा देती है, डॉक्टर और अस्पताल उसी दवा को मरीजों के लिए लिखना शुरू कर देते हैं, इससे उसकी बिक्री बढ़ जाती है। अब नीति आयोग दवा पर फर्स्ट प्वाइंट ऑफ सेल या यूं कहें कि बिक्री की पहली जगह पर ट्रेड मार्जिन तय करना चाहता है। इससे कंपनी और अस्पतालों की मुनाफाखोरी पर लगाम लगेगी और मरीजों को सही दाम पर दवाएं मिल सकेंगी। चूंकि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) सिर्फ जीवनरक्षक दवाओं की कीमत निर्धारित करता है, इसका भी दवा कंपनियां फायदा उठाती हैं।
कंपनियों की मुनाफाखोरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्लूकोज की बोतल चढ़ाने वाला आईवी सेट थोक बाजार में सिर्फ आठ रुपये कीमत का है, लेकिन रिटेल बाजार में इसे 135 रुपये तक में बेचा जाता है। बुखार, दर्द, खांसी, जुकाम, हृदय और शुगर आदि बीमारियों में काम आने वाली पैरासिटामोल, डिक्लोफेनिक, सिटराजिन, एटोरवेस्टिन, रोजोवेस्टिन, क्लोपीडोग्रिल, ग्लीमीप्राइड आदि के कॉंबीनेशन वाली दवाएं थोक बाजार में एक से 10 रुपये में मिलती हैं, लेकिन रिटेल मार्केट में इनकी कीमत ब्रांड के आधार पर 10 रुपये से 500 रुपये तक वसूली जाती है। कंपनियां ब्रांड वैल्यू दिखाकर ही यह मुनाफा कमाती हैं।
तो वहीं बरेली मंडल केमिस्ट वेलफेयर के अध्यक्ष – राजेश ओबराय के मुताबिक जनहित में लिए गए सरकार के इस निर्णय का केमिस्ट एसोसिएशन स्वागत करती है। सरकार से यह भी अनुरोध है कि सर्जिकल सामानों की कीमतों को भी डीपीसीओ के तहत निर्धारित करे, ताकि जरूरतमंदों को सस्ते में उपकरण उपलब्ध हो सकें। अभी सिर्फ 17 फीसदी दवाओं के ही दाम सरकार निर्धारित करती है। नीति आयोग की ओर से तैयार हो रहे फार्मूले के बाद सभी दवाओं के दाम निर्धारित होंगे, इसका सीधा लाभ मरीजों को मिलेगा। केमिस्ट सरकार के साथ हैं। साथ ही बरेली महानगर केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष – दुर्गेश खटवानी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री की ओर से रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय को पत्र लिखकर दवा के दाम निर्धारित करने के लिए कहा गया था।
इस पर अब सकारात्मक पहल शुरू हुई है जो मरीजों के लिए राहत की बात है। केमिस्ट एसोसिएशन जनहित में लिए गए इस निर्णय पर सरकार के साथ है। जल्द ही सर्जिकल सामानों के दाम निर्धारित करने के लिए भी ज्ञापन दिया जाएगा। बता दें कि बरेली मंडल और महानगर केमिस्ट एसोसिएशन के मुताबिक, पिछले दिनों एसोसिएशन ने केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को ज्ञापन सौंपकर दवाओं के मनमाने दामों पर अंकुश लगाने की मांग की थी। इस पर केंद्रीय मंत्री ने रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय को पत्र लिखकर फार्मास्युटिकल्स कंपनियों की मनमानी और एक ही साल्ट की दवाओं के दाम में सौ से डेढ़ सौ फीसदी तक के मुनाफे पर तत्काल रोक लगाने के लिए कहा था।
केमिस्ट एसोसिएशन के मुताबिक ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर यानी डीपीसीओ के दायरे में अभी सिर्फ 17 फीसदी ही दवाएं आती हैं। बाकी 83 फीसदी दवाओं के दाम कंपनियां ही तय करती हैं। सरकार ने अब सभी दवाओं को डीपीसीओ के दायरे में लाने का फैसला फैसला किया गया है। इसके लिए नीति आयोग एक फॉर्मूला तैयार कर रहा है, इसमें ट्रेड मार्जिन के आधार पर दवाओं के दाम कंट्रोल किए जा सकेंगे। नीति आयोग की अगुवाई में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी फॉर्मूला तैयार करने में जुटे हैं।