इंदौर। मध्यप्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद से रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग अचानक से काफी बढ़ गई है। कई दवा दुकानों के बाहर लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। कई जगह तो इसका स्टॉक पूरी तरह से खत्म हो गया है। अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम) अभय बेड़ेकर के अनुसार दवा कम्पनियों द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति घटाने से इसकी भारी कमी हो रही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल इंदौर में हर रोज अलग-अलग दवा कम्पनियों के रेमडेसिविर इंजेक्शन की लगभग 3,000 शीशियां आ रही हैं, जबकि जिले में इसकी रोज की मांग 7,000 शीशियों की है। यानी इसकी मांग के मुकाबले आधी आपूर्ति हो पा रही है।
बता दें कि अक्तूबर से फरवरी तक में मामले घटने पर कंपनियों ने उत्पादन घटा दिया था। लेकिन अचानक से कोरोना के मामले में वृद्धि होने से कंपनियां 24 घंटे प्रोडक्शन के बावजूद डिमांड पूरी नहीं कर पा रही हैं। सबसे ज्यादा जरूरत पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में डिमांड ज्यादा है। हालांकि अधिक से अधिक कर्मचारियों को लगाकर रेमडेसिविर का प्रोडक्शन तेज कर दिया गया है।
गौरतलब है कि इंदौर में रेमडेसिविर तथा मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत ऐसे वक्त हो रही है, जब महामारी के मरीजों की तादाद नित नये रिकॉर्ड बना रही है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान जिले में महामारी के 866 नये मरीज मिले जो दैनिक स्तर पर इसके मामलों का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। उन्होंने बताया कि करीब 35 लाख की आबादी वाले जिले में 24 मार्च 2020 से लेकर अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 74,895 मरीज मिले हैं। इनमें से 981 लोगों की मौत हो चुकी है।
वहीं अधिकारियों के अनुसार अचानक से मांग बढ़ने के कारण शहर में रेमडेसिविर की कालाबाजारी बढ़ गई है। इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने आदेश दिया है कि इंजेक्शन को आधार और फोटो आईडी दिखाने के आधीर पर ही दिया जाएगा। पॉजिटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी और डॉक्टर की सलाह की पर्ची भी जरूरी होगी। लाधिकारी मनीष सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के फलस्वरूप इंदौर जिले में रेमडेसिविर के साथ ही मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता में भी कमी देखी जा रही है। हम प्रयास कर रहे हैं कि महामारी के खिलाफ जारी जंग में संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे।