लखनऊ। कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने जहां एक तरफ लोगों की मुश्किली बढ़ा दी है तो वहीं दूसरी तरफ बढ़ती दवाओं की कीमतों ने भी लोगों की मुश्किलें बढ़ाना शुरू कर दिया है। दवाओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो गई है। दिल-कोलेस्टॉल और सांस की दवा समेत कई अन्य जीवनरक्षक दवाओं के दामों में बढ़ोतरी हुई है। दवाओं में चार से लेकर 40 रुपये तक बढ़ोतरी हुई है। सबसे ज्यादा कीमतें उन दवाओं की बढ़ी हैं, जो मरीज को लंबे समय तक खानी पड़ रही हैं। गरीब मरीज बेहाल हैं। गौरतलब है कि दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल चीन समेत दूसरे देशों से आता है। कच्चे माल के आयात में दिक्कतें बढ़ी हैं। इसका असर दवाओं की कीमतों पर पड़ रहा है।
वहीं लखनऊ कैमिस्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता विकास रस्तोगी ने बताया कि लगातार दवाओं की कीमतों में इजाफा हो रहा है। जीवनरक्षक व जरूरी दवाओं के दामों में काफी वृद्धि हुई है। इसकी कई वजह हैं। सबसे अहम कारण पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा होना है। इससे माल-भाड़ा बढ़ा है। वहीं दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतें भी बढ़ी हैं। संक्रमण की वजह से दूसरे देशों से कच्चे माल की आवक भी प्रभावित है। इसका फर्क भी दवाओं की कीमतों पर पड़ रहा है। सरकार दवाओं की कीमतों पर हस्तक्षेप करे। बता दें कि दिल की दवा मेटोकार्ड एक्सएल का एक पत्ता 60 रुपये में मिलता था। अब 64 रुपये में बिक रहा है।
ब्लड प्रेशर की दवा एम्लोप्रेस एटी 123 रुपये में बिक रही थी। अब 135 रुपये कीमत हो गई है। कोलेस्ट्रॉल की गोली रोजावेल 20 की कीमत 303 रुपये थी। नई कीमत 330 रुपये हो गई है। दर्दनिवारक कैप्सूल इंडोकैप एसआर 105 रुपये में मिल रहा था। अब 115 रुपये पत्ता बिक रहा है। मानसिक रोग में इस्तेमाल होने वाली दवा ओलैंज 2.5 अब 32 रुपये के बजाए 37 रुपये में बिक रही है। गरार करने वाली दवा बीटाडीन 210 के बजाए 230 रुपये में बिक रहा है। बिटनोवेट क्रीम 33 रुपये में थी। अब कीमत 37 रुपये हो गई है। यूरिक एसिड की दवा फेबुस्टैट 40 अभी तक 184 रुपये पत्ता मिल रही थी। अब 202 रुपये हो गए हैं। सांस की दवा एबी फ्लो कैप्सूल 112 रुपये में मिल रही थी। इसकी कीमत 123 रुपये हो गई है। सांस की दवा एबी फाइलीन 100 एमजी कैप्सूल का पत्ता 123 रुपये में मिल रहा था।
इसकी नई कीमत 135 रुपये हो गई है। पेट की सिरप डुपालैक्स 505 रुपये में था। अब 515 रुपये में हो गया है। लिवर की दवा यूडीलिव 591 रुपये में मिल रही थी। अब 631 रुपये में बिक रही है। गैस की कैप्सूल पैन-40 की कीमत अभी तक 138 रुपये थी। जो बढ़कर 149 रुपये हो गई है। कोरोना संक्रमण में लोगों की लगातार दिक्कतें बढ़ रही हैं। अब दवाओं की बढ़ी कीमतों ने मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ज्यादातर दवाओं की कीमतों में इजाफा हो गया है। गुजरे एक महीने से दवाओं की कीमतों में वृद्धि हो रही है। इसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। लखनऊ में करीब पांच हजार से अधिक थोक व फुटकर दवा की दुकानें हैं। रोजाना करोड़ों रुपये का दवा का कारोबार होता है।
मेडिकल स्टोर पर बड़ी संख्या में मरीज दवा खरीद रहे हैं। बार-बार कीमतें बढ़ने से दवा कारोबारी व क्रेता दोनों परेशान हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त दवाएं मिलती हैं। कोरोना कर्फ्यू और संक्रमण की वजह से अधिकतर ओपीडी बंद थीं। नतीजतन मरीज ओपीडी की सुविधाओं से वंचित थे। मरीजों के पास बाजार से दवा खरीदने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में रोजाना 15 से 20 हजार मरीज ओपीडी में आ रहे थे। मजबूरन मरीज बाजार से महंगी दवाएं खरीद रहे हैं।