बीबीएन। बीपी और एलर्जी समेत 145 दवाओं के सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं। संबंधित फार्मा कंपनियों को नोटिस सौंपे गए हैं। यह खुलासा सीडीएससीओ ने जनवरी माह के ड्रग अलर्ट में किया है। इनमें 52 दवाओं की जांच केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं और 93 को राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में हुई।

सैंपल फेल मिली दवाओं में अकेले हिमाचल के 26 उद्योगों में निर्मित 28 तरह की दवाएं हैं। इनमें इंजेक्शन, मलहम व आई ड्राप्स क्वालिटी टेस्ट में फेल पाए गए हैं। हिमाचल में निर्मित जिन 28 दवाओं व इंजेक्शन के सैंपल फेल हुए हैं, इनका उपयोग आंख व कान के संक्रमण, पेप्टिक अल्सर, अस्थमा, दर्द निवारक, ब्रोंकाइटिस, बुखार, निमोनिया के इलाज के लिए किया जाता है। सबस्टैंडर्ड पाई गई दवाओं व इंजेक्शन का निर्माण सोलन, कालाअंब, बद्दी, नालागढ़ बरोटीवाला, परवाणू, कांगड़ा के संसारपुर टैरेस स्थित दवा निर्माण इकाइयों में हुआ है।

वहीं, गुजरात, तमिलनाडू, जम्मू, चैन्नई, आंध्र प्रदेश, मुंबई, मध्यप्रदेश, बंगलुरु, हैदराबाद, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, उत्तराखंड़, सिक्किम, पंजाब, बिहार, तिरवतुंपुरम स्थित दवा उद्योगों में बनी 117 तरह की दवाएं सबस्टेंडर्ड निकले हंै। चीन में निर्मित हेयर कलर व कंडीशनर भी जांच में फेल पाए गए हैं। स्टेट ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि ड्रग अलर्ट में शामिल दवाओं के बैच को बाजार से वापस लेने के निर्देश दिए हैं।

ये दवाइयां मिली फेल

ड्रग अलर्ट में सेफिक्साइम और ओलॉक्सासिन टैबलेट, ओक्यूएक्स आई ड्रॉप्स, न्यूट्रीबेस्ट-प्लस, ओ ़लॉक्सासिन और ऑर्निडाज़ोल टैबलेट, रीबास्ट-एआरडी, सोलीकास्ट-एल, जांच में फेल आई है। इनके अलावा हायोसाइन ब्यूटाइलब्रोमाइड टैबलेट, एसीक्लोफेनाक, पैरासिटामोल और सेराटियोपेप्टिडास टैबलेट, विन्कोल्ड जेड, मेगासेक्लो एमआर और रिजडॉक्स-200 टैबलेट शामिल हैं। वहीं, बलगम वाली खांसी के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ब्रोंकोरेक्स एएम सिरप में फेल मिले हंै। रबेप्राजोल सोडियम इंजेक्शन , सिप्रो लोक्सासिन इंजेक्शन, और से िट्रएक्सोन इंजेक्शन भी मानकों के अनूरूप नहीं मिले हैं।