रायपुर (छ.ग.)। दवाइयों के निर्माण में काम आने वाला रॉ मैटेरियल महंगा हो गया है। इस खर्चे को कम करने के लिए देशभर के विभिन्न भागों में फैक्ट्रियों से कच्चा माल चुराने की वारदात होने लगी हैं। मुंबई, चंडीगढ़, दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, लखनऊ, कानपुर, बेंगलुरू, हैदराबाद समेत कई शहरों में दवा फैक्ट्रियों से रॉ मैटेरियल चोरी कर उसे अंतरराज्यीय तस्करों की मदद से अन्य शहरों में बेचा जा रहा है। रॉ मैटेरियल के दाम बढऩे के पीछे पड़ोसी देश चीन में दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाली इंटरमीडिएट (केमिकल) इंडस्ट्री का बंद होना बताया जा रहा है। गौरतलब है कि भारत में करीब 70 फीसदी दवाइयों का कच्चा माल चीन से ही मंगवाया जाता था। यह इंडस्ट्री बंद होने से सप्लाई बंद हो गई। इससे दवाइयों के रॉ मैटेरियल की कीमत देश में दोगुनी हो गई है। इसी खर्चे को कम करने के लिए दवाइयों के रॉ मैटेरियल की चोरी का खेल देश के कई राज्यों में खूब चल रहा है।
वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएचओ) और चीन के पॉल्यूशन डिपार्टमेंट के स्टैंडर्ड पर खरा नहीं उतरने की वजह से चीन की फैक्ट्रियों को पिछले साल दिसंबर में बंद किया गया है। इस वजह से रॉ मैटेरियल की तस्करी छह महीने में ही करोड़ों की हो गई है। राज्य के बड़े दवा कारोबारियों का दावा है कि रॉ मैटेरियल का काम बंद होने से भारत में इसकी कीमत 20 से 300 फीसदी बढ़ी है। इसके असर से दवा बाजार में कई दवाइयां भी महंगी हो गई हैं। रायपुर पुलिस ने दवा तस्करों से मेग्लूमाइन नामक पाऊडर जब्त किया है। यह बेहोशी के साथ-साथ कई जीवन रक्षक दवाओं में उपयोगी है। बाजार में मेग्लूमाइन से बनाई गई 5 एमजी की दवा 40 रुपए की है। इसे मुंबई की फैक्ट्रियों से चुराया गया था। ब्रांडेड दवाओं के रॉ-मैटेरियल के ड्रम गोदामों में ले जाकर खाली करते हैं, फिर उन ड्रमों में सस्ता स्टार्च, हल्दी या कैल्शियम पाउडर भरकर गोदाम पहुंचा देते हैं। फैक्ट्री में दवा चोरी करने वाले गैंग पाउडर निकालकर उसमें सस्ता मैटेरियल मिला देते हैं। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे ये कच्चा माल व्यापारियों को मुंह मांगी कीमत पर बेचते थे। दरअसल, यह माल ओरिजनल होता था और खुले बाजार में काफी महंगा होता है।
पुलिस का मानना है कि कच्चा माल चुराने वाले गिरोह के कुछ सदस्य दवा कंपनी में भी काम करते हैं। उनके माध्यम से ही फैक्ट्री से बाहर निकलने वाली गाडिय़ों की लोकेशन और उनके ड्राइवर की पूरी जानकारी बाहर तैनात लोगों को मिलती थी। सुनसान स्थान पर वाहन रुकवाकर रॉ मैटेरियल निकाला जाता था। पाऊडर निकालते समय वे बीच वाले हिस्से में नकली माल मिलाते थे और ऊपरी हिस्से में ओरिजनल पाऊडर ही रख देते थे ताकि इससे किसी को शक न हो।