सिद्धार्थनगर (उप्र)। ब्रांडेड और जेनेरिक दवा के खेल में मेडिकल स्टोर संचालक मरीज को चूना लगा रहे हैं और अपनी जेबें भर रहे हैं। जी हां, यह सच है। आजकल दवाओं की बिक्री में यह बड़ा खेल खेला जा रहा है और इसका लाभ छोटे दवा दुकानदार उठा रहे हैं।

यह है मामला

दवा कंपनी का नाम और दाम लगभग एक ही होने के कारण मरीज भी समझ नहीं पाते हैं, और जब मरीज डॉक्टर को बताता है कि उनकी लिखी दवा ने असर नहीं किया तो वह दूसरी दवा लिख देते हैं। ब्रांडेड और जेनेरिक के बीच होने वाले खेल पर प्रशासन भी अंकुश नहीं लगा पा रहा है। इसलिए 20 रुपये पत्ता मिलने वाली दवा प्रिंट के अनुसार मरीज को 200 रुपये खुले तौर पर बेची जा रही है।

इस ठगी पर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि नामी कंपनी अगर जेनेरिक दवा बाजार में उतार रही है, तो ब्रांड नेम में बदलाव और वास्तविक मूल्य होना चाहिए। इससे सरकार की सस्ती दवाएं मुहैया कराने की योजना सफल होगी और जरूरतमंदों को लाभ भी मिल सकेगा।

एक ही कंपनी की ओर से बनाई जाने वाली ब्रांड और जेनेरिक दवाओं में खेल करके छोटे दुकानदार कमाई करने में जुटे हैं। एक दवा कंपनी के प्रतिनिधि ने बताया कि दवाओं में बड़े पैमाने पर खेल होता है। दवा देते समय वे लोग खुद मेडिकल स्टोर संचालक को मुनाफे के बारे में जानकारी देते हैं। क्योंकि वह नामी कंपनी अब जेनरिक भी बना रही है और वही ब्रांड।

ये दवाएं सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं हंै, इसलिए शिकायत नहीं हो पाती है। जितनी सेलिंग उतना अधिक मुनाफा होता है। वहीं, एक मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि नामी ब्रांड की जेनेरिक दवा बेचने में अच्छा लाभ मिल जाता है। डॉक्टर के अलावा कोई इसे समझ भी नहीं सकता है।