नई दिल्ली। भारतीय फार्मा दुनिया के टॉप फाइव सप्लायर देशों में शामिल हो सकेगा। देश का फार्मास्यूटिकल निर्यात 2023 में करीब 27 बिलियन डॉलर था। इसके दोगुना होकर 2030 तक 65 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के आसार है। यही नहीं, 2047 तक निर्यात अनुमानित 350 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है।

गौरतलब है कि भारत वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। इसके बावजूद निर्यात मूल्य के मामले में देश वर्तमान में 11वें स्थान पर है। भारतीय फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए), भारतीय औषधि निर्माता संघ (आईडीएमए) और फार्मेक्सिल के सहयोग से बेन एंड कंपनी द्वारा रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि विशेष जेनेरिक्स, बायोसिमिलर और नवीन उत्पादों को शामिल करने के लिए अपने निर्यात बास्केट में नवाचार और विविधता लाकर भारत किस तरह निर्यात मूल्य के मामले में शीर्ष पांच देशों में स्थान पा सकता है।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि हम अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देकर इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। वहीं, बेन एंड कंपनी के पार्टनर श्रीराम श्रीनिवासन का कहना है कि वैश्विक बाजार में अपना उचित स्थान सुरक्षित करने के लिए भारतीय फार्मा के लिए मात्रा-आधारित से मूल्य-आधारित विकास की ओर संक्रमण जरूरी है। हालांकि भारतीय फार्मा के पास वैश्विक बायोसिमिलर बाजार का 5 प्रतिशत से भी कम हिस्सा है, लेकिन अनुसंधान एवं विकास में बढ़ते निवेश के कारण इसमें सुधार दिखाई देने लगा है।