ऑनलाइन डेटा में पूछा जा रहा मरीज का धर्म 

रायपुर (छ.ग.)। यह पढऩे व सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा है लेकिन यह सत्य है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अस्पताल में आप जाएंगे तो आपका धर्म भी पूछा जाएगा। अगर मरीज ने अपना धर्म नहीं बताया तो उसे अस्पताल में भर्ती होने में दिक्कत भी आ सकती है। धर्म के सवाल पर इलाज के लिए अस्पताल आ रहे मरीज व परिजन अचरज में पड़ जाते हैं।
एम्स प्रबंधन का कहना है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश पर कि किस धर्म के कितने मरीजों का इलाज किया गया, हम मरीजों के धर्म के संबंध में पूछने के लिए विवश हैं। लोकसभा व राज्य सभा में विभिन्न सांसद सवाल पूछते हैं, इसलिए केन्द्र मरीजों के धर्म की जानकारी मांग रहा है। प्रबंधन का कहना है कि कंप्यूटर के ऑनलाइन डेटा में जब मरीजों की जानकारी भरते हैं, उसके लिए सभी मरीजों का धर्म पूछते हैं। वहीं, अस्पताल में मरीजों को जो ओपीडी बुक दी जाती है, उसमें बारकोड चिपका हुआ है लेकिन उसमें धर्म का उल्लेख नहीं है।
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