बनारस में जब्त हुई 7.5 करोड़ रुपए की नकली दवाई

बनारस में जब्त हुई 7.5 करोड़ रुपए की नकली दवाई

UP: इन दिनों ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली दवाएं बनाने का गिरोह चल रहा है। इस गिरोह के खिलाफ लगातार पुलिस की कार्रवाही जारी है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश (UP) के बनारस में यूपी एसटीएफ की वाराणसी इकाई ने नकली दवा का कारोबार करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के सरगना को सिगरा क्षेत्र की चर्च कॉलोनी से गिरफ्तार किया गया है।

बरामद दवा की कीमत साढ़ सात करोड़ रुपए (UP)

एसटीएफ ने सिगरा और लहरतारा स्थित उसके गोदाम से 300 पेटी नकली दवाएं बरामद की हैं। इस बरामद दवा की कीमत साढ़े सात करोड़ रुपए बताई जा रही है। यहां से नकली दवाएं बंग्लादेश समेत देश के कई हिस्सों में भेजी जाती थीं। आरोपी की पहचान बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद स्थित टीचर्स कॉलोनी निवासी अशोक कुमार के रूप में हुई है। इसके खिलाफ सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

जांच के लिए लखनऊ के लैब में भेजे नमूने 

बरामद नकली दवाओं के 25 नमूने लखनऊ के जनऔषधि प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि दवाओं की सप्लाई  वाराणसी से की गई थी। इसके बाद खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग ने एसटीएफ से संपर्क साधा और जांच के लिए मदद मांगी थी।

हाईस्कूल फेल है आरोपी 

पुलिस के द्वारा इस मामले में संलिप्त 15 आरोपियों की तलाश जारी है। वहीं इस मामले में गिरफ्तार सरगना अशोक कुमार हाईस्कूल फेल है। उसने पूछताछ में कई राज उगले हैं। आरोपी  बुलंदशहर में गद्दा बनाने वाली फैक्ट्री में मजदूरी करता था। 7 सालों तक वो ऑटो रिक्शा भी चला चुका है। लेकिन, नकली दवाओं की आपूर्ति में मोटा मुनाफा देखकर पूर्वांचल आ गया। एसटीएफ के एडिशनल एसपी ने बताया कि अशोक कुमार ने बुलंदशहर के सिकंदराबाद स्थित किसान इंटर कॉलेज में दाखिला लिया था। साल 1987 में उसने हाईस्कूल की परीक्षा दी थी लेकिन वो फेल हो गया।

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इसके बाद साल 2003 से साल 2010 तक वो ऑटो चलाता था। इसके बाद वो गद्दा बनाने की फैक्ट्री में काम करने लगा। लापरवाही पर काम से हटा दिया गया तो वह फिर ऑटो चलाने लगा। इसी दौरान उसकी मुलाकात बुलंदशहर के नीरज से हुई। नीरज नकली दवाईयों का कारोबार करता था।

इसके बाद से वो  नीरज के यहां ही वह माल ढुलाई करने लगा। वहीं उसे नकली दवाओं के कारोबार की जानकारी हुई। इसके बाद नीरज से ही नकली दवाओं को खरीद कर झोलाछाप को बेचने लगा।

अशोक नकली दवाओं को यहां से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से बांग्लादेश, कोलकाता, उड़ीसा, बिहार, हैदराबाद व उत्तर प्रदेश के आगरा, बुलंदशहर भेजता था। नकली दवाओं को गोदाम तक पहुंचाने में उसकी मदद  प्रयागराज के रोहन श्रीवास्तव, पटना के रमेश पाठक व दिलीप, पूर्णिया के अशरफ, हैदराबाद के लक्ष्मण, वाराणसी स्थित शिवपुर के नीरज चौबे, डा. मोनू, रेहान और बंटी, आशापुर के शशांक मिश्रा व एके सिंह, सोनभद्र स्थित न्यू बस्ती परासी के अभिषेक कुमार सिंह करते थे।

 

 

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