नई दिल्ली। दुर्लभ बीमारी की दवा के लिए फार्मा कंपनी को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस देकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने भारत में स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) नाम की दुर्लभ बीमारी में इस्तेमाल दोने वाली दवा रिसडिप्लाम की अधिक कीमत पर कंपनी से सवाल किए हैं। दवा निर्माता कंपनी से पूछा कि क्या यह दवा भारत में कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा सकती है। जबकि पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन को यह दवा सस्ती दर पर सप्लाई की जाती है।
यह है मामला
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ को इस दुर्लभ बीमारी से पीडि़त केरल की 24 वर्षीय महिला सबा के वकील आनंद ग्रोवर ने बताया कि दवा निर्माता मेसर्स एफ हॉफमैन-ला रोश लि. भारत के मुकाबले अन्य देशों को सस्ती दर पर यह दवा बेच रही है। इस पर पीठ ने दवा निर्माता कंपनी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विवाद को ध्यान में रखते हुए, मेसर्स एफ हॉफमैन-ला रोश सुनवाई की अगली तिथि पर इस न्यायालय को बताए कि वह पड़ोसी देशों में उक्त औषधि किस दर पर बेचती है। यदि इस दवा का मूल्य अन्य देशों में कम है, तो क्या भारत में भी दवा की उसी कम मूल्य पर आपूर्ति की जा सकती है।
केरल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक बरकरार
पीठ ने कहा कि 24 फरवरी का उसका अंतरिम आदेश अगली सुनवाई तक जारी रहेगा। 24 फरवरी को शीर्ष अदालत ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें केंद्र सरकार से कहा गया था कि वह सबा को 18 लाख रुपये की दवाइयां मुहैया कराए। ये दवाएं केंद्र सरकार की योजना के तहत ऐसे मरीजों को मिलने वाली 50 लाख रुपये की राशि से अलग है। केंद्र ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी।