WHO: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दावा किया है कि मार्शल द्वीप और माइक्रोनेशिया में भारतीय कंपनी के द्वारा बनाई गई दूषित कफ सिरप बरामद हुई है। हालांकि डब्लूएचओ ने कहीं भी ये वर्णन नहीं किया है कि मार्शल आइलैंड्स या माइक्रोनेशिया में किसी भी बच्चे की इस दवाई के कारण मौत नहीं हुई है।

कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की अधिक मात्रा (WHO)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के नियामक, चिकित्सीय सामान प्रशासन (TGA) की जांच में पाया गया कि भारत के द्वारा आयातित खांसी की दवाई गुइफेनेसिन  नाम की कफ सिरप में अधिक मात्रा में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा में पायी गई है। ये मनुष्य के लिए काफी घातक साबित हो सकती है।

डब्लूएचओ के इस अलर्ट पर अभी तक  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से प्रतिक्रिया नहीं मिली है। सूत्रों का कहना है कि डब्ल्यूएचओ का ईमेल मिलने के बाद हरियाणा और पंजाब सरकार से इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने की सिफारिश की गई थी।

पंजाब की क्यूपी फार्माकेम लिमिटेड कंपनी के द्वारा कफ सिरप का उत्पादन

डब्लूएचओ ने जानकारी दी है कि पंजाब की क्यूपी फार्माकेम लिमिटेड कंपनी के द्वारा इस कफ सिरप का उत्पादन किया जाता है। कंपनी ने दूसरे देशों में वितरण के लिए ट्रिलियम फार्मा नामक कंपनी से करार किया है, जो हरियाणा में है। इस मामले में इन दोनों कंपनियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। डब्ल्यूएचओ ने अन्य सभी सदस्य देशों से इस कफ सिरप का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इन दोनों ही कंपनियों ने कफ सिरप की सुरक्षा और गुणवत्ता पर डब्ल्यूएचओ को किसी भी तरह की गारंटी प्रदान नहीं की है।

तीसरी बार भारत में निर्मित दवाई पर उठे सवाल 

विश्व स्तर पर तीसरी बार भारत में निर्मित दवाई कंपनी पर सवाल उठ चुके हैं। भारत में विभिन्न निर्माताओं द्वारा बनाए गए सिरप से गाम्बिया, इंडोनेशिया और उज्बेकिस्तान में गुर्दा खराब होने से 300 से अधिक बच्चों की मौत की बात कही गई थी।

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