नई दिल्ली
एचआईवी/ एड्स, टीबी, उच्च रक्तचाप, मिर्गी, हेपेटाइटिस-सी और मधुमेह सहित अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 103 दवाएं सस्ती किए जाने की राहत भरी खबर आई है। राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने दवाओं के 103 फर्मूलेशन पैक की अधिकतम मूल्य सीमा तय कर दी है। एनपीपीए ने इस संबंध में अपनी वेबसाइट पर जारी अधिसूचना में कहा है कि कैलेंडर वर्ष-2015 के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर 103 अनुसूचित योगों की कीमतें तय की गई हैं, जो पहली अप्रैल, 2016 से प्रभावी हो जाएंगी। एनपीपीए के इस कदम से एचआईवी/एड्स के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली टैनोफोवर, लैमीवुडीन, रालटेग्रवीर और हेपेटाइटिस-सी के उपचार में प्रयोग की जाने वाली सोफोसवुवीर जैसी महत्त्ववपूर्ण दवाएं सस्ती हुई हैं। मसलन टैनोफोवर (300), लैमीवुडीन (300), इफवरेन्ज (600) संयोजन दवाओं की कीमत अब 94.27 रुपए से घटकर 91.71 रुपए हो गई है। इसी तरह रालटेग्रवीर 400 मिलीग्राम की कीमत अब 143.13 से घटकर 139.25 रुपए हो गई है। हेपेटाइटिस बी की दवा सोफोसवुवीर 400 मिलीग्राम की कीमत 636.56 रुपए से घटकर 619.31 रुपए निर्धारित की गई है, जबकि हृदय रोग की दवा एटोरवास्टेटिन 40 मिलीग्राम अब पहले के 18.41 रुपए के मुकाबले 17.91 रुपए प्रति टैबलेट में उपलब्ध होगी।
एनपीपीए ने इसके अलावा डीपीसीओ 2013 के तहत दो योगों हायोजीन ब्यूटलब्रोमाइड+ पेरासिटामोल टैबलेट और मिथाइलडोपा की भी खुदरा कीमत तय की है। यहां उल्लेखनीय है कि सरकार ने मई 2014 में डीपीसीओ-2013 अधिसूचित किया था। इसमें एनपीपीए को 680 दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने का अधिकार मिला हुआ है। हालांकि सरकार ने आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल दवाओं की संख्या बढ़ाकर 800 से ज्यादा कर दी है। दवाओं की कीमतों का निर्धारण किसी खास क्षेत्र में एक या दो फीसदी बाजार हिस्सेदारी वाली सभी दवाओं के अंकगणितीय औसत के आधार पर होता है। अधिसूचना में कहा गया है कि जिनके उत्पादों की कीमतें इस सीमा से नीचे है, उन्हें इसकी भरपाई के लिए कीमतें बढ़ाने की अनुमति नहीं है। दवा कंपनियों को होलसेल प्राइज इंडेक्स के आधार पर साल में एक मर्तबा ही रीटेल प्राइज में बढ़ोतरी करने की इजाजत है। यही नहीं फार्मा कंपनियों को नॉन-एसेंशियल दवाओं की प्राइज में सालाना एक बार 10 फीसदी की बढ़ोतरी करने की इजाजत है।