धीरे-धीरे भयावह होता जा रहा है दाद, स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा

धीरे-धीरे भयावह होता जा रहा है दाद

Ringworm: भारतीयों में दाद, खाज और खुजली जैसी त्वचा से संबंधित समस्याएं आम बात है। इनमें से दाद (Ringworm) एक ऐसी आम समस्या है जिसके बारें लोग ज्यादा नहीं सोचते हैं। लेकिन अब दाद का इलाज मुश्किल होता जा रहा है। हाल ही में एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि अब धीरे-धीरे दाद पर दवाओं का असर खत्म होता जा रहा है। जिसके कारण इसका इलाज मुश्किल हो रहा है।

दाद (Ringworm) के इलाज में दवाएं बेअसर 

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हाल ही में एक रिसर्च किया गया गया। जिसमें सामने आया कि  फंगस में म्यूटेशन हो रहा है और यह इट्राकोनाजोल (Itraconazole) दवा के अत्यधिक उपयोग के कारण हो रहा है। दाद एक साफ त्वचा के बीच एक खुजलीदार, गोलाकार दाना जो दाद होता है। दाद के  कवक के एंजाइमों में म्यूटेशन होता है और यह सभी दवाओं के लिए बेअसर हो रहा है।

दाद में टेरबिनाफाइन भी बेअसर

दाद के इलाज में आमतौर पर अन्य देशों में  टेरबिनाफाइन (Terbinafine) दवा दी जाती है। इसे दाद के इलाज में सबसे सफल माना जाता है। लेकिन आरएमएल अस्पताल में त्वचाविज्ञान के डॉ कबीर सरदाना ने बताया कि सात पहले भारत में ये दवा दाद के इलाज में बेअसर पायी गई। डॉ सरदाना का कहना है कि इस दवा की विफलता का एक प्रमुख कारण इसका अत्यधिक उपयोग है। इट्राकोनाजोल सबसे अधिक बिकने वाली दवा है और इसका अत्यधिक दुरुपयोग भी होता है। यदि यह दवा प्रतिरोधी हो जाती है, तो भारत में दाद के संक्रमण के इलाज के लिए कुछ भी नहीं बचा है। यह अंतिम मुंह से दी जाने वाली दवा है जिसका उपयोग उपचार के लिए किया जाता है।

डॉ सरदाना का कहना है कि जब एक ही दवा का बार-बार फंगस के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है, तो यह प्रभावित कोशिकाओं में इफ्लक्स पंप को बढ़ा देती है। यह दवा को उसके शरीर से निकालने के लिए एक रक्षा तंत्र के रूप में कार्य करता है। यदि ऐसा बार-बार होता रहे, तो धीरे-धीरे दवा का असर कम हो जाता है। इट्राकोनाजोल की गोलियां सिर्फ दाद के लिए ही नहीं बल्कि फेफड़ों में संक्रमण, ब्लास्टोमाइकोसिस, हिस्टोप्लास्मोसिस के लिए भी दी जाती हैं।

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