एक क्लिनिक सील कर हांफे अफसर, 1499 झोलाछाप दिखा रहे ठेंगा

रायपुर

जिले में झोलाछाप यानी कथित डॉक्टर्स की दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं। ये बगैर डिग्री, डिप्लोमा के एलोपैथी दवाइयां बांट रहे हैं, इंजेक्शन लगा रहे हैं, यहां तक कि छोटी सर्जरी तक 2 कमरों के क्लिनिक में कर रहे हैं जो पूरी तरह से अवैध है। बावजूद इसके इन पर कार्रवाई शू्न्य है, जबकि प्रदेश में नर्सिंग होम एक्ट कानून 2013 लागू हो चुका है।

2013 में बनी थी सूची, 30 नवंबर 2013 को हुई थी एक मात्र कार्रवाई
30 नवंबर को खमतराई इलाके में कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम नेहा कपूर, नर्सिंग होम एक्ट के जिला नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश चतुर्वेदी ने झोलाछाप पीएन जायसवाल के क्लिनिक को सील कर दिया था। बीते 2 साल में दूसरी और आखिरी कार्रवाई थी, जबकि 2013 में जिले के 1500 झोलाछाप कथित डॉक्टर्स की सूची तैयार करवाई गई थी, क्योंकि इन क्लिनिक को बंद करना था, लेकिन आज तक यह संभव नहीं हो सका। जिले में आज भी 1499 झोलाछाप के क्लीनिक रोजाना खुलते हैं और वे खुले आम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और पूरे सिस्टम को ठेंगा दिखा रहे हैं।

नर्सिंग होम एक्ट का उड़ रहा मजाक – प्रदेश में नर्सिंग होम एक्ट का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। इसका इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि अब तक रायपुर जिले में सिर्फ 65 नर्सिंग होम को लाइसेंस जारी हुआ, जबकि अकेले नर्सिंग होम की संख्या 450, इसके अलावा पैथोलॉजी सेंटर अलग से। नर्सिंग होम एक्ट को लागू करने के पीछे मूल मकसद था कि इसके तहत अस्पतालों को लाइसेंस जारी करना और जो इसके दायरे में नहीं आते हैं वे फर्जी यानी गैर कानूनी रूप से संचालित हो रहे हैं और उन पर कार्रवाई होगी।

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